सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रदूषण कम करने के लिए राज्य सरकार कठोर कदम उठाए

(अवैस उस्मानी): दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सरकारों को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें प्रदूषण को कम करने के लिए कठोर कदम उठाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हर साल प्रदूषण कि परेशानी होती है, लेकिन सरकार कुछ नहीं करती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले 6 साल से लगातार ऐसा हो रहा है, सभी जानते हैं कि प्रदूषण के स्रोत क्या हैं, लेकिन इसका हल निकलता नहीं दिख रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा सभी कोर्ट के आदेश का इंतजार करते हैं, हमारे पास हर समस्या का समाधान है पर कोई कुछ नहीं कर रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमे सभी राज्यो के चीफ सेक्रेटरी को तलब करने पर मजबूर न करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आज सुबह एयर क्वालिटी इंडेक्स 436 था। सुप्रीम कोर्ट में 21 नवंबर को मामले में अगली सुनवाई होगी।

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दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण की समस्या को लेकर सुप्रीम की जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने सुनवाई किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें लोगों के स्वास्थ्य की चिंता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हर हाल में पराली जलाने पर रोक लगनी चाहिए। राज्यों को पराली जलने से रोकना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कुछ आपातकालीन उपायों की जरूरत है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम नतीजे चाहते हैं। हम विशेषज्ञ नहीं हैं लेकिन हम समाधान चाहते हैं। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि जनता सिर्फ दुआ करे, आपको जो करना है आप करें कल को आप कहेंगे की सुप्रीम कोर्ट ने करने नही दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 32% कृषि अपशिष्ट के ज़रिए और 17% वाहनों की वजह से होता है।जस्टिस कौल ने कहा हम केवल प्रदूषण की पहचान ही कर रहे हैं, कभी बारिश होती है, कभी हवा चल जाती है, जो आपकी मदद कर देती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा आप क्या इंस्ट्रक्शन जारी कर रहे हैं, करिए, हमारा उससे कोई मतलब नहीं प्रदूषण कम होना चाहिए। पंजाब सरकार द्वारा पराली जलाने को रोकने के लिए मेजर स्टेप्स नही लिए जा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रदूषण के लिए सभी सरकारें जिम्मेदार हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पराली जलाने पर रोक कैसे लगे कैसे इसकी मॉनिटर जरूरी है, एफआइआर रजिस्टर करना समस्या का समाधान नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर कोई पराली जलता है तो उसे सब्सिडी नहीं मिलेगी, अगर आप चाहे तो यह कर सकते है। जस्टिस संजय किशन कौल ने कहा कि पंजाब के एडवोकेट जनरल कह रहे हैं वह पराली जलाने पर अंकुश लगा रहे हैं जबकि यह लगातार पराली जलाई जा रही है।

दिल्ली सरकार की तरफ से वरिष्ठ वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि टैक्सियों के लिए भी ऑड-ईवन है। यह एक हद तक प्रदूषण को कम करने में मदद करता है, ऑड-ईवन से सड़कों पर भीड़ कम होती है, हर छोटा-छोटा हिस्सा मायने रखता है और फर्क लाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा हर किसी के पास दो कार तो नही होगी, लेकिन अगर स्कूटर है तो उस पर लागू नहीं होगा, आपको जो करना है आप करें। सुनवाई के दौरान वकील विकास सिंह ने कहा एनजीटी ने भी प्रदूषण को लेकर स्वत: संज्ञान लिया है, खेतों में आग भड़क रही है, हवाई सर्वेक्षण में पूरे पंजाब को लाल रंग में दिखाया गया, एनजीटी ने यही दर्ज किया इस साल के लिए कुछ तो करना ही होगा नहीं तो हम ऐसे ही मर जाएंगे। जस्टिस कौल ने कहा कि एमएसपी एक सीमित स्थिति तक के लिए है, यह अलग मुद्दा है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि समुचित योजना है मशीनों को छूट पर मुहैया कराने के लिए, इसके बावजूद वह प्रभावी नहीं है।सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान पंजाब एडवोकेट जनरल गुरमिंदर सिंह ने कहा कि हम संवेदनशील तरीके से कदम उठा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा क्या आप चाहते है की यह आदेश हम पास कर दे की सभी राज्य सरकार के अधिकारी बिना मास्क के काम करे, तभी आम जनता के स्वास्थ्य के बारे में इसको पता चलेगा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा की पराली पर आप कोर्ट के आदेश के लागू करें, हम लोगो को प्रदूषण की वजह से मरने नही दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा प्रदूषण कम होना ही चाहिए, कैसे कम होगा यह राज्य सरकार तय करें, लेकिन प्रदूषण कम करना ही होगा। सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार को कहा की आप कोर्ट के आदेश के लागू करें। हम लोगो को प्रदूषण की वजह से मरने नही दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पंजाब में किसान वेल ऑर्गेनाइज्ड हैं, सही दिशा देने में कोई परेशानी नहीं होनी चाहिए।

दिल्ली सरकार ने कहा की वह दीवाली के बाद कृत्रिम बारिश करना चाहते हैं। इसको लेकर कई एजेंसी को इजाजत की जरूरत होगी, केंद्र से इजाजत चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसके लिए हमारी इजाजत की जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कैबिनेट सेक्रेटरी के साथ बैठक में सभी राज्य सरकारों के सचिव शामिल हुए थे। हमे बताया गया है की सभी उपाय किए जा रहे है ताकि पराली जलाने पर काबू पाया जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने कहा की फसल के विकल्प के तौर पर दूसरी फसल पर भी काम करना होगा। पैडी पर जाने वाली MSP को नही हटाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा खेत में आग का पता लगाने के लिए तकनीक उपलब्ध है, यह कैसे करना है यह प्रशासन पर निर्भर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लंबी अवधि में धान का विकल्प तलाशें, पंजाब के एडवोकेट जनरल ने धान की एमएसपी को फिलहाल खत्म न करने की बात कही है।

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