Uttrakhand: पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ का भव्य और दिव्य मंदिर उत्तराखंड (Uttrakhand) के रुद्रप्रयाग जिले में ऊंचे पर्वत पर स्थित है। कहा जाता है कि ये दुनिया में सर्वाधिक ऊंचाई पर बना शिव का धाम है, जो चारों ओर से बर्फ की सफेद चादर से ढका रहता है। श्रद्धालुओं के मंगल गीतों के बीच भगवान तुंगनाथ की डोली शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गई है।
Read Also: कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुईं राधिका खेड़ा, इस एक्टर ने भी ली सदस्यता
आपको बता दें, Uttrakhand में पंच केदारों में तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अपने शीतकालीन गद्दी स्थल मर्कटेश्वर तीर्थ मक्कूमठ से कैलाश के लिए रवाना हो गई है। भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के कैलाश रवाना होने पर महिलाओं ने मंगल गीतों व भक्तों ने बाबा भोले शंकर के उद्घोष से इसकी अगुआई की और पुढखी नामक स्थान पर पहुंचने पर भक्तों ने नए अनाज का भोग अर्पित कर विश्व शांति व समृद्धि की कामना भी की है।
Read Also: रोजाना केला खाने से शरीर को मिल सकते हैं गजब के फायदे ,हृदय मजबूत करता है केला
भोग अर्पित करने के बाद भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली अब रात्रि प्रवास के लिए भूतनाथ मंदिर पहुंच गई है और 8 मई को भूतनाथ मंदिर में ही भक्तों को भगवान के दर्शन मिलेंगे। 9 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली भूतनाथ मंदिर से रवाना होकर पाव, चिलियाखोड, पंगेर, बनियाकुण्ड यात्रा पड़ावों पर श्रद्धालुओं को आशीष देते हुए अंतिम रात्रि प्रवास के लिए चोपता पहुंचेगी और फिर 10 मई को भगवान तुंगनाथ की चल विग्रह उत्सव डोली के उनके धाम पहुंचने पर भगवान तुंगनाथ के कपाट वेद ऋचाओं के साथ ग्रीष्मकाल में दर्शन हेतु श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे।