Heat Wave: जहां मार्च में ठंड पड़ रही ती तो वहीं अप्रैल की शुरुआत के साथ भीषण गर्मा की भी शुरुआत हो गई है। मौसम विभाग ने कहा कि अप्रैल के आखिरी सप्ताह तक देश में भारी गर्मी होगी। लू का दौर इसके बाद शुरू होगा। वहीं, मौसम विभाग ने लोगों को दोपहर में घर से बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है। हर साल गर्मियों के मौसम में देश भर से सूचना मिलती है कि कुछ लोग हीटस्ट्रोक या हीटवेव से मर गए हैं। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि मनुष्य कितना तापमान सहन कर सकता है? वहीं, भीषण गर्मी से बचने के लिए शरीर क्या करता है?
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ज्यादातर लोगों ने देखा होगा कि उच्च तापमान हमारे शरीर और स्वास्थ्य के लिए घातक होता है। लोग जो भीषण गर्मी सहन नहीं कर पाते, मर जाते हैं। किंतु अधिकांश लोगों का शरीर दोनों भारी गर्मी और भारी ठंड को सहन कर सकता है। ग्रीष्मकाल में देश के कई भागों में 50 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक का तापमान होता है। ऐसे में आपको भी लगता है कि इतनी गर्मी में आदमी जीवित कैसे रह सकता है? किस तापमान में मनुष्य संकट का सामना कर सकता है?
शरीर का तापमान
वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी शरीर का सामान्य तापमान 98.6 डिग्री फॉरेनहाइट है। इसका मतलब बाहरी तापमान 37 डिग्री सेल्सियस है। विज्ञान ने बताया कि मनुष्य 42.3 डिग्री सेल्सियस से अधिक के तापमान पर आसानी से रह सकता है। विज्ञान कहता है कि इंसान गर्म रक् त है। मानव को एक विशिष्ट तंत्र, जिसे “होमियोस् टैसिस” कहा जाता है, बचाता है। इस प्रक्रिया में, इंसानी दिमाग स्वचालित रूप से शरीर के तापमान को हाइपोथैलेमस से जिंदा रहने की सीमा में बनाए रखता है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक ब्रिटेन में गर्मी से होने वाली मौतों में 257 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। दरअसल, वैज्ञानिकों का कहना है कि इंसानी शरीर आसानी से 35 से 37 डिग्री तक का तापमान सह लेता है। लोगों को तब समस्याएं होती हैं जब तापमान 40 डिग्री से अधिक होने लगता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इंसान 50 डिग्री से अधिक का अधिकतम तापमान सहन नहीं कर सकते। इससे अधिक तापमान जीवन को खतरा बनाता है।
हाइपोथैलेमस को ऊर्जा रक्त वाहिकाओं में फैलने, शरीर से पसीना निकलने, मुंह से सांस लेने और खुली हवा में जाने से मिलती है। हाइपोथैलेमस इस ऊर्जा से इंसानी शरीर का तापमान बनाए रखता है। इंसान इसलिए अधिक तापमान पर भी जीवित रह सकता है। हालाँकि, 45 डिग्री सेल्सियस से अधिक तापमान इंसानों के लिए खतरनाक होता है।
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डॉक्टर और शोधकर्ता अक्सर “हीट स्ट्रेस” शब्द का इस्तेमाल करते हैं जब वे इंसानी शरीर पर बढ़ते तापमान के प्रभाव पर बात करते हैं। जब हमारा शरीर बहुत गर्म होता है, तो वह अपने कोर तापमान को बनाए रखने का प्रयास करता है। शरीर अपने कोर तापमान को बनाए रखने की कोशिश किस हद तक कर सकता है, यह वातावरण और शारीरिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 45 डिग्री का पारा होने पर बेहोशी, चक्कर या घबराहट जैसी शिकायतों के साथ ब्लड प्रेशर कम होना आम शिकायत है। साथ ही, 48 से 50 डिग्री या उससे अधिक तापमान पर बहुत देर रहने से मांसपेशियां पूरी तरह से जवाब दे सकती हैं, जिससे मौत भी हो सकती है।
गर्मी से लड़ता है शरीर में मौजूद पानी
चिकित्सीय अध्ययन के अनुसार, शरीर बाहरी तापमान बढ़ने पर विशिष्ट प्रतिक्रिया व्यक्त करता है। शरीर का लगभग 70% पानी से बना है। दूसरे शब्दों में, हमारे शरीर में मौजूद पानी बाहर के तापमान को कम करने के लिए गर्मी से लड़ता है। हमें इस प्रक्रिया में पसीना आता है। इससे शरीर ठंडक बना रहता है। लेकिन शरीर अधिक समय तक इस प्रक्रिया से गुजरने से पानी की कमी होने लगती है। पानी की कमी से किसी को चक्कर आना या सिरदर्द हो सकता है। कुछ व्यक्ति बेहोश हो सकते हैं। असल में पानी की कमी से सांस लेना मुश्किल होता है।