चरखी दादरी(प्रदीप साहू): सरकार शिक्षा को बेहतर करने के लाख दावे कर रही है और करोड़ों रूपये भी खर्च कर रही है, लेकिन अभी भी सरकारी स्कूलों की हालत में कोई सुधार नजर नहीं आ रहा है। चरखी दादरी के गांव कलियाणा में एक ऐसा ही प्राथमिक स्कूल है, जिसमें करीब सैकड़ों छात्राएं मौत के मुंह में पढ़ने को मजबूर हैं, क्योंकि मासूम बच्चे विद्यालय की जर्जर हालत को देखते हुए कक्षाओं के बाहर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं।
पिछले कई सालों से लगातार शिकायत करने के बाद भी आज तक जर्जर स्कूल और क्लासों की हालत को सही नहीं कराया गया। आज भी स्कूल में सैकड़ों मासूम मौत के मुंह में पढ़ाई कर रहे हैं। स्कूल की हालत ऐसी है कि किसी भी समय कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। बता दें, दादरी जिला के गांव कलियाणा के कन्या प्राथमिक पाठशाला भवन के कमरों की छत की हालत जर्जर है। ये छतें कभी भी ढह सकती हैं। यहीं नहीं, जर्जर छत को छिपाने के लिए रंगाई-पुताई भी कराई गई है। फिर भी हालत छिपाए नहीं छिप रहे।
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हालांकि, पिछली बरसात के सीजन में एक कमरे की छत भी गिर गई थी, जिसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा लोक निर्माण विभाग के माध्यम से स्कूल भवन को कंडम घोषित करवा दिया था। बावजूद इसके स्कूल में कमरे नहीं होने पर मासूमों को बरामदों व खुले में बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। स्कूल शिक्षकों ने बताया कि पाठशाला की जर्जर हालत के बारे में विभाग को कई बार बताया जा चुका है। लेकिन अभी तक विभाग द्वारा कोई पहल नहीं की गई है, जिससे मजबूरन बच्चों को जर्जर छत के नीचे बैठकर पढ़ना पड़ रहा है। स्कूल में सफाई कर्मचारी नहीं होने के कारण सफाई व्यवस्था भी चरमराई हुई है। स्कूल में शौचालय व पानी की व्यवस्था भी नहीं है। खुले में खड़ी झाडिय़ों में जाने में बच्चों को डर लगता है।
ग्रामीणों व स्कूल प्रबंधन द्वारा बार-बार अधिकारियों को अवगत करवाया गया। ग्रामीणों के विरोध को देखते हुए जिला मौलिक शिक्षा अधिकारी विरेंद्र सिंह मलिक ने स्कूल भवन का निरीक्षण किया और हालात देखे। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उच्चाधिकारियों को रिपोर्ट भेजी जाएगी। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी जयप्रकाश सभ्रवाल ने कहा कि स्कूल भवन को लोक निर्माण विभाग के माध्यम से कंडम घोषित किया गया है। भवन के निर्माण को लेकर शिक्षा विभाग के पास प्रस्ताव भेजा गया है और स्कूल में सभी सुविधाएं जल्द से जल्द उपलब्ध करवाई जाएंगी।