OM Birla: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने आज प्रौद्योगिकी, प्रशिक्षण और जन-केंद्रित शासन के माध्यम से वित्तीय निगरानी को मजबूत करने का आह्वान किया। सार्वजनिक व्यय में अधिक पारदर्शिता, जवाबदेही और दक्षता सुनिश्चित करने में वित्तीय अनुशासन के महत्व को रेखांकित करते हुए, बिरला ने इस बात पर ज़ोर दिया कि शासन को लोगों की जरूरतों पर ध्यान देना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वित्तीय निगरानी तंत्र न केवल प्रभावी हो बल्कि समावेशी और लोगों के सरोकारों के प्रति उत्तरदायी भी हो। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक व्यय का मूलमंत्र दक्षता, पारदर्शिता और वित्तीय अनुशासन है । श्री बिरला ने आज महाराष्ट्र विधान भवन, मुंबई में संसद और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों के राष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए ये टिप्पणियां कीं। इस सम्मेलन का आयोजन भारत की संसद की प्राक्कलन समिति के 75 वर्ष पूरे होने के अवसर पर किया जा रहा है ।
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इस अवसर पर ओम बिरला ने कहा कि प्राक्कलन समिति के 75 वर्ष पूरे होने पर आयोजित यह सम्मेलन न केवल इसकी उपलब्धियों का परिचायक है, बल्कि वित्तीय अनुशासन, प्रशासनिक दक्षता और प्रणालीगत सुधारों के माध्यम से लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में इसकी उभरती भूमिका का प्रतिबिंब भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि दशकों से, समिति एक महत्वपूर्ण निगरानी तंत्र के रूप में विकसित हुई है जो बजटीय अनुमानों की जांच करती है, कार्यान्वयन का मूल्यांकन करती है और सरकार के कार्यों को बेहतर बनाने के लिए कार्रवाई योग्य सिफारिशें करती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि समिति ने सचिवालय के पुनर्गठन, रेलवे की क्षमता एवं इसकी परिचालन क्षमता, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, गंगा नदी के कायाकल्प आदि सहित कई प्रमुख क्षेत्रों में अग्रणी योगदान दिया है। उन्होंने इस बात का उल्लेख करते हुई खुशी जताई कि सरकारों ने समिति की 90 से 95% सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है।
इस बात का उल्लेख करते हुए कि संसदीय समितियाँ गहन वाद-विवाद, रचनात्मक चर्चा और कार्यपालिका की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करती हैं, बिरला ने इस बात पर जोर दिया कि ये समितियाँ राजनीतिक विचारधाराओं से परे ज्ञानप्रद विचार-विमर्श को बढ़ावा देकर लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। उन्होंने कहा कि संसदीय समितियों का उद्देश्य विरोध करना या आरोप लगाना नहीं है, बल्कि नीतियों और सरकारी कामकाज की जांच करना तथा आम सहमति एवं विशेषज्ञतापूर्ण सिफारिशों के माध्यम से बेहतर शासन में योगदान देना है। उन्होंने संसदीय समितियों के कामकाज में डिजिटल टूल्स, डेटा एनालिटिक्स प्लेटफॉर्म और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के उपयोग का समर्थन किया, ताकि गहन जांच की जा सके और साक्ष्य-आधारित सिफारिशें की जा सकें।
ओम बिरला ने राज्य विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापतियों से राज्य स्तर पर वित्तीय जवाबदेही के संरक्षक के रूप में कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि संघीय शासन के महत्वपूर्ण स्तंभों के रूप में, राज्य विधानमंडल राज्य विभागों में राजकोषीय विवेक और जिम्मेदारीपूर्वक खर्च सुनिश्चित करके परिवर्तनकारी भूमिका निभा सकते हैं। उन्होंने राज्य स्तरीय प्राक्कलन समितियों को संसदीय समिति की कार्यप्रणाली से प्रेरणा लेने और एक दूसरे से सीखने तथा नियमित संस्थागत संवाद के माध्यम से संयुक्त प्रयास करने के लिए प्रोत्साहित किया।
लोकसभा अध्यक्ष ने शासन में उभरती चुनौतियों, जिसमें सार्वजनिक व्यय में वृद्धि, योजनाओं की बढ़ती जटिलता और तेजी से हो रहे तकनीकी परिवर्तन शामिल हैं, के बारे में बात करते हुए कहा कि प्राक्कलन समिति ने पिछले कुछ वर्षों में पारदर्शिता में सुधार लाने और व्यय को राष्ट्रीय विकास लक्ष्यों के साथ जोड़ने के उद्देश्य से बजटीय सुधारों में लगातार योगदान दिया है।
समिति ने सार्वजनिक सेवाएँ प्रदान किए जाने में सुधार और करदाताओं के पैसे का विवेकपूर्ण उपयोग सुनिश्चित करने के लिए प्रभावशाली सिफारिशें भी की हैं। उन्होंने आग्रह किया कि इस सम्मेलन में एक दूरदर्शी कार्य योजना तैयार करने की दिशा में काम किया जाना चाहिए जिससे सरकार के सभी स्तरों पर प्राक्कलन समितियों की भूमिका मजबूत हो । उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि अगले दो दिनों में होने वाली चर्चाओं से इन समितियों को अधिक सक्रिय, तकनीकी रूप से सशक्त और जन-केन्द्रित बनाने के लिए व्यावहारिक रणनीतियां तैयार होंगी।लोकसभा अध्यक्ष बिरला ने लोकतांत्रिक जवाबदेही की प्रासंगिकता को दोहराते हुए सुशासन, वित्तीय पारदर्शिता और संस्थागत अखंडता के आदर्शों के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि प्राक्कलन समिति की प्लेटिनम जयंती केवल अतीत का स्मरण नहीं है, बल्कि भविष्य के लिए कार्रवाई का आह्वान भी है – जिसके लिए नवाचार, सहयोग और समर्पण की आवश्यकता है।
इस अवसर पर ओम बिरला ने भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक स्मारिका का विमोचन भी किया।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, देवेन्द्र फडणवीस; महाराष्ट्र के उप-मुख्य मंत्री, एकनाथ शिंदे और अजित पवार; महाराष्ट्र विधान परिषद के सभापति, राम शिंदे; महाराष्ट्र विधान सभा के अध्यक्ष, राहुल नार्वेकर; और भारतीय संसद की प्राक्कलन समिति के सभापति, संजय जायसवाल ने इस अवसर पर उपस्थित विशिष्ट जनसमूह को संबोधित किया। राज्य सभा के उप-सभापति, हरिवंश और महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे उद्घाटन सत्र में उपस्थित रहे।
भारत की संसद की प्राक्कलन समिति के सदस्य; राज्यों और संघ राज्य क्षेत्रों के विधानमंडलों की प्राक्कलन समितियों के सभापति; महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उद्घाटन सत्र में शामिल हुए।इस दो दिवसीय सम्मेलन के दौरान, भारत की संसद और राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों की प्राक्कलन समितियों के सभापति और सदस्य निम्नलिखित विषय पर विचार-विमर्श करेंगे: ‘प्रशासन में दक्षता और मितव्ययिता सुनिश्चित करने के लिए बजट प्राक्कलनों की प्रभावी निगरानी और समीक्षा में प्राक्कलन समिति की भूमिका। महाराष्ट्र के महामहिम राज्यपाल, सी.पी. राधाकृष्णन मंगलवार, 24 जून, 2025 को सम्मेलन के समापन पर विदाई भाषण देंगे।