इलेक्टोरल बॉन्ड मामले में नहीं होगी SIT जांच, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

Supreme Court Concerned:

Electoral Bond Scheme: इलेक्टोरल बॉन्ड योजना की एसआईटी जांच नहीं होगी। इसकी मांग को सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को खारिज कर दिया।चीफ जस्टिस डी. वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जे.बी.पारदीवाला की पीठ ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस स्तर पर दखल देना अनुचित और समयपूर्व होगा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वे इस धारणा पर इलेक्टोरल बांड की खरीद की जांच का आदेश नहीं दे सकती कि ये अनुबंध देने के बदले में किया गया था।

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क्या बोले सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़? सुप्रीम कोर्ट गैर सरकारी संगठनों – कॉमन कॉज और सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन (सीपीआईएल) और बाकी दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।दो गैर सरकारी संगठनों की जनहित याचिका में योजना की आड़ में राजनैतिक दलों, निगमों और जांच एजेंसियों के बीच साफ लाभ का आरोप लगाया गया है।सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा सामान्य प्रक्रिया का पालन करें ।

हमने खुलासा करने का आदेश दिया है। हम एक निश्चित बिंदु तक पहुंच गए हैं ।याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हमसे कंपनियों और राजनीतिक पार्टियों के खिलाफ जांच के लिए एसआईटी बनाने, गलत तरीके से लिए पैसों को जब्त करने, कंपनियों पर जुर्माना लगाने, कोर्ट की निगरानी में जांच और इनकम टैक्स विभाग को 2018 के बाद से राजनीतिक पार्टियों के दोबारा असेसमेंट की भी मांग की गई.

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क्या होता है इलेक्टोरल बॉन्ड्स? – बता दें कि इलेक्टोरल बॉन्ड के माध्यम से कोई संस्था या कंपनी किसी राजनीतिक दल को पैसे चंदे के रूप में दे सकती है।वर्तमान समय में कई प्रकार के बॉन्ड उपलब्ध है।जब कोई कंपनी या संस्थान किसी राजनीतिक दल को चंदा के रुप में  इलेक्टोरल बॉन्ड देती है तब  उस व्यक्ति की पहचान गुप्त रखी जाती है।कोई भी राजनीतिक दल इलेक्टोरल बॉन्ड को 15 दिनों के अंदर इसे भुना सकती है।ये बॉन्ड सिर्फ राजनीतिक पार्टियों के हो दिए जाते है।

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