उत्तर प्रदेश के हाथरस में दलित लड़की के साथ गैंगरेप और हत्या के मामले में जांच कर CBI ने आरोप पत्र बीते शुक्रवार को दायर कर दिया है जिसमें CBI ने साफ तौर पर चारो अभियुक्तों को दोषी करार दिया है ।
इस मामले कि जांच सीबीआई इलाहाबाद हाईकोर्ट की निगरानी में कर रही थी सीबीआई के अनुसार चारो दोषियों का गुजरात के गांधीनगर में साइंस लैबोरेटरी में अलग अलग टेस्ट भी करवाया गया था ।
योगी सरकार पर उठे सवाल –
हाथरस की यह घटना जिसने लोगो को दहला कर रख दिया लेकिन वही दूसरी तरफ यह विवादों में भी घिरी रही जिसकी वजह यूपी पुलिस और योगी सरकार मानी गई ।
गौरतलब है कि यूपी पुलिस ने परिवार की अनुमति के बिना उनकी गैरमौजूदगी में मृतक को जला दिया था जिसकी वजह से यूपी प्रशासन की काफी आलोचना हुई और सवाल किए कि क्यों पुलिस ने देर रात मृतक का अंतिम संस्कार कर दिया, ऐसी क्या जल्दी थी कि पुलिस सुबह तक भी नही रुक सकती थी ।
हांलाकि इस पर योगी सरकार ने कोर्ट को जवाब देते हुए कहा था कि “न्याय व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने” के डर से ये कदम उठाया गया था जिसने लोगो में गुस्से की भावना को ओर बढ़ा दिया ।महापंचायत के दौरान चूंकि लड़की दलित थी और सभी आयुक्त उच्च जाति के वहां जाति के आधार पर कुछ दवाब की स्थिति भी सामने आई थी जिसे लेकर राजनैतिक सियासी भी हुई ।
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नार्को टेस्ट के लिए भी पीड़िता के परिवार दवाब डाला गया था आमतौर पर जो अभियुक्तों के परिवार का होता है हांलाकि नार्को टेस्ट के लिए पीड़िता के परिवार ने मना कर दिया था ।
इन्हीं सब स्थिति को देखते हुए मामले की जांच के लिए एसआईटी की टीम तैयार की गई थी लेकिन बाद में यह मामला सीबीआई को सौंप दिया गया ।
गौरतलब है कि सीबीआई ने कोर्ट को चार्जशीट दाचर करते हुए उसमें IPC sec 376(रेप), 376D( गैंगरेप), 302(मर्डर) और SC/ST एक्ट के तहत संदीप(20), रवि(35), रामू(26) और लवकुश(23) के लिए सजा का प्रावधान है। बता दें पीड़िता की मृत्यु दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में इलाज के दौरान हुई थी।
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