(अवैस उस्मानी): आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन द्वारा 2020 के उत्तर पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में उसके खिलाफ लगाए गए आरोपों को चुनौती देने वाली याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया। दिल्ली हाईकोर्ट की जस्टिस अनु मल्होत्रा ने ताहिर हुसैन के वकील और ईडी के वकील की दलील सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। ईडी ने ताहिर हुसैन की याचिका का विरोध करते हुए याचिका को खारिज करने की मांग किया।
ताहिर हुसैन की तरफ से वकील नवीन मल्होत्रा ने दलील रखते हुए कहा कि ताहिर हुसैन के पास से कोई संपत्ति या अपराध की आय जब्त नहीं की गई, जो उसके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप तय करने को सही ठहरा सके। ताहिर हुसैन के वकील ने कहा कि ताहिर हुसैन ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से कोई संपत्ति अर्जित नहीं किया है, GST और टैक्स चोरी PMLA के तहत अपराध के दायरे में नहीं आता है। ईडी ने कहा कि ताहिर हुसैन ने दंगों को वित्त पोषित करने के लिए कथित साजिश किया था, जिसमें फर्जी बिल तैयार किए गए और बाद में अपराध करने के लिए कई लोगों को नकद दिया गया।
ईडी ने कहा कि निचली अदालत में आरोप तय करते समय पर्याप्त सामग्री थी। ईडी ने कहा कि बड़ी साजिश को आगे बढ़ाने के लिए संपत्ति और अपराध की आय का उपयोग किया गया। मामले की सुनवाई के दौरान ईडी के वकील ने कहा कि साजिश रची गई और ताहिर हुसैन के खिलाफ स्पष्ट मामला बनता है।
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ईडी ने कहा कि सेक्शन 120 बी (आपराधिक साजिश) एक अनुसूचित अपराध है, इस मामले में दंगों के उद्देश्य से धन लाना और उनका इस्तेमाल करने की साजिश है। ईडी ने कहा कि निचली अदालत ने प्रथम दृष्टया पाया कि हुसैन साजिश में काम करते हुए मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध में लिप्त था। कोर्ट ने कहा था कि साजिश में उत्पन्न अपराध की आय को दंगों के लिए इस्तेमाल किया गया।