PM मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक, नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को मिली मंजूरी

(प्रदीप कुमार): PM मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक हुई। इस दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि आज नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। PM मोदी के नेतृत्व में कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। कैबिनेट बैठक के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि आज नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंजूरी दे दी है। भारत ग्रीन हाइड्रोजन का ग्लोबल हब बनेगा।

केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने जानकारी देते हुए बताया कि देश में 2030 तक प्रतिवर्ष 50 लाख GreenHydrogen का उत्पादन किया जाएगा साथ ही खरीदारों और उत्पादकों को एक छत के नीचे लाने के लिए ग्रीन हाइड्रोजन हब विकसित किया जाएगा। नेशनल ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के लिए 19,744 करोड़ रुपए की मंजूरी दी गई है। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि इस मिशन से 8 लाख करोड़ रुपए का सीधा निवेश होगा। 6 लाख नौकरियां इससे मिलेंगी। 50 मिलियन टन ग्रीन हाउस उत्सर्जन को कम किया जाएगा।

हाइड्रोजन मिशन के तहत 2023 तक प्रति वर्ष 50 लाख टन हरित हाइड्रोजन का उत्पादन होगा इसके लिए 60 गीगावॉट से 100 गीगावॉट की इलेक्ट्रोलाइजर कैपेसिटी को स्थापित किया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने जानकारी दी कि ग्रीन हाइड्रोजन मिशन के तहत क्रेता-विक्रेताओं को एक छत के नीचे लाने के लिए हरित हाइड्रोजन केंद्र विकसित किया जाएगा। देश में इलेक्ट्रोलाइजर विनिर्माण को लेकर पांच साल के लिए प्रोत्साहन इंसेंटिव पैकेज दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने जानकारी दी है कि इलेक्ट्रोलाइजर की मैन्युफैक्चरिंग और ग्रीन हाइड्रोजन के उत्पादन पर 17,490 करोड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। वहीं ग्रीन हाइड्रोजन के हब को विकसित करने के लिए 400 करोड़ का प्रावधान किया गया है।

केंद्रीय कैबिनेट ने अपने एक और अन्य फैसले में हिमाचल प्रदेश में 382 मेगावाट के सुन्नी बांध हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट को भी मंजूरी दे दी है।इसमे करीब 2,614 करोड़ रुपए की लागत इसमें आएगी। ये प्रोजेक्ट सतलुज नदी पर बनेगा। केंद्रीय मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की थी और अब केंद्र सरकार ने मिशन इनोवेशन के तहत हाइड्रोजन वैली शुरू करने का फैसला लिया है। इसके लिए तीन अलग-अलग चरणों में काम किया जाएगा जो 2050 तक चलेगा।

दरअसल ऊर्जा की बढ़ती मांग और कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन कम करने के लिए सरकार, राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन पर काम कर रही है। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने देश को वैश्विक अक्षय हाइड्रोजन का हब बनाने के लिए हाइड्रोजन वैली बनाने का फैसला लिया है।

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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय (डीएसटी) की ओर से हाइड्रोजन वैली बनाने के लिए सरकारी और निजी क्षेत्र से प्रस्ताव मांगे गए हैं। डीएसटी के अनुसार, हाइड्रोजन वैली का मतलब एक हाइड्रोजन घाटी से है, जहां हाइड्रोजन का उत्पादन एक से अधिक क्षेत्रों में किया जाएगा।इस मिशन के तहत डीएसटी हाइड्रोजन उत्पादन के लिए वैली स्थापित करेगा और पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय हाइड्रोजन नीतियों व योजनाओं की निगरानी करेगा।

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