उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने जयपुर में इंडिया इंटरनेशनल स्कूल के छात्रों को किया संबोधित

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज महिला शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, “महिलाओं के बिना और शिक्षा के बिना हम विकसित भारत का सपना नहीं देख सकते। महिला और शिक्षा उस रथ के दो पहिए हैं जो देश को चलाएंगे”। आज राजस्थान के जयपुर में इंडिया इंटरनेशनल स्कूल में छात्रों और शिक्षकों के साथ संवाद करते हुए, धनखड़ ने शिक्षा, विशेषकर महिला शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा, “शिक्षा समाज में सबसे बड़ा स्तर है, यह समानता लाती है और लोकतंत्र के प्रस्फुटित होने के लिए यह एक ज़रूरी आवश्यकता है।” उन्होंने कहा, “किसी भी समाज में शिक्षा असमानताओं को दूर कर समानता लाती है, शिक्षा सामाजिक व्यवस्था में बराबरी लाने का सबसे बड़ा साधन है, शिक्षा लोकतंत्र की प्राणवायु है। वैदिक काल में भारतीय समाज कि संरचना पर जोर देते हुए उन्होंने कहा “अगर हम अपने वेदों पर नजर डालें तो उनमें महिलाओं की शिक्षा और भागीदारी पर बहुत ज़ोर दिया गया है। हम बीच में कहीं रास्ता भटक गए थे लेकिन वैदिक काल में महिलाएँ उच्च स्तर पर थीं। वे नीति निर्माता, वे निर्णय निर्माता तथा मार्गदर्शक थीं।”

अपने संबोधन में उन्होंने हाल ही में लागू महिला आरक्षण विधेयक की भी प्रशंसा की, जिसके तहत संसद और राज्य विधानमंडलों में महिलाओं के लिए एक तिहाई आरक्षण अनिवार्य किया गया है। उन्होंने कहा, “एक युगांतकारी विकास हुआ है जोकि ऐतिहासिक विकास है, और वह लोकसभा और राज्य विधानमंडलों में महिला आरक्षण है। संविधान ने अब लोकसभा और राज्य विधानमंडलों में एक तिहाई आरक्षण प्रदान किया है। इससे वे नीति निर्माण का हिस्सा होंगी, वे कानून बनाने का हिस्सा होंगी, वे कार्यकारी कार्यों का हिस्सा होंगी, वे प्रेरक शक्ति होंगे। यह इस सदी का बहुत बड़ा विकास है।”

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वैश्विक स्तर पर भारत में निवेश और व्यापार की असीम संभावनाओं को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने ज़ोर दिया, “देश ने विश्व स्तरीय इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ ऐतिहासिक तेजी से विकास और आर्थिक प्रगति को बढ़ते देखा है। दिन-प्रतिदिन भारत में संभावनाएँ बढ़ती जा रही हैं”। वैश्विक संस्थाओं द्वारा भारत के विकास पर की गई प्रशंसा को रेखांकित करते हुए धनखड़ ने कहा, “मैं आपको एक बात बता सकता हूं वैश्विक संस्थाएं, आईएमएफ, विश्व बैंक, विश्व आर्थिक मंच और सभी ने कहा है कि भारत विश्व स्तर पर सबसे अधिक संभावनाओं वाला देश है।

किसी भी देश में देखें, हम अवसर और निवेश के मामले में सर्वश्रेष्ठ हैं।” देश में गुणवत्तापूर्ण और उद्देश्यपूर्ण शिक्षा प्रदान करने की क्षमता के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) की सराहना करते हुए, उपराष्ट्रपति ने ज़ोर दिया, “शिक्षा के बिना कोई बदलाव नहीं हो सकता। शिक्षा को गुणवत्तापूर्ण होनी चाहिए, उद्देश्यपूर्ण होना चाहिए। शिक्षा को डिग्री से परे होना चाहिए। एक के बाद एक डिग्रियां हासिल करना शिक्षा के प्रति सही दृष्टिकोण नहीं है और यही कारण है कि तीन दशकों के बाद देश में एक राष्ट्रीय शिक्षा नीति आई है जो छात्रों को उनकी प्रतिभा का पूरा लाभ उठाने में मददगार है। इस नीति के द्वारा उन्हें डिग्री आधारित शिक्षा से दूर कर दिया गया है। इसमें कौशल शिक्षा और योग्यता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इसके साथ ही आप कोर्स भी कर सकते हैं।”

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अपने सम्बोधन में उपराष्ट्रपति ने इस नीति को अपनाने की अपील उन लोगों से भी की जिन्होंने अभी तक राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) को नहीं अपनाया है। 2047 में ‘विकसित भारत’ का लक्ष्य हासिल करने में युवाओं की अहम भूमिका पर ज़ोर देते हुए धनखड़ ने कहा कि विकसित राष्ट्र का दर्जा हासिल करने के लिए आवश्यक तत्व देश में मौजूद हैं। उन्होंने कहा, “देश में ऐसी व्यवस्था है जहाँ हर व्यक्ति आकांक्षाओं और सपनों को साकार करने के लिए अपनी प्रतिभा और क्षमता से लाभान्वित हो सकता है।”देश में कानून के समान अनुप्रयोग की ओर ध्यान आकर्षित करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा, “संविधान में लिखित ‘कानून के समक्ष समानता’ लंबे समय तक से अमल से दूर थी, कुछ लोगों का मानना था कि कानून के मामले में, वे कानून से ऊपर हैं, वे दूसरों की तुलना में विशेष हैं और कानून की पहुंच से परे हैं लेकिन वर्तमान एक बड़ा बदलाव हुआ है कि ‘कानून के समक्ष समानता’ अब एक जमीनी हकीकत है। विशेषाधिकार, वंशावली, वह विशेष वर्ग जो कोई भी यह विचार रखता था कि उन्हें कानून से छूट प्राप्त है, उन्हे अब कानून के प्रति जवाबदेह बनाया जा रहा है। यह एक बड़ा बदलाव है!”

देश में सत्ता के गलियारों की भ्रष्ट तत्वों से मुक्ति पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा, “कोई भी समाज जो भ्रष्टाचार से संचालित होता है अथवा एक ऐसी प्रणाली द्वारा संचालित होता है जहां भ्रष्टाचार के बिना आपको नौकरी नहीं मिल सकती है, वह निश्चित रूप से युवाओं के उत्थान के विरुद्ध है। भ्रष्टाचार प्रतिभाशाली लोगों के खिलाफ़ है। भ्रष्टाचार योग्यता तंत्र को निष्क्रिय कर देता है। एक बड़ा परिवर्तन हुआ है, सत्ता के गलियारे जो एक समय भ्रष्ट संपर्क तत्वों से ग्रस्त थे। वे लोग जिन्होंने निर्णय लेने में कानूनी रूप से अतिरिक्त लाभ उठाया एवं जिन्होंने योग्यता पर विचार किए बिना नौकरियां प्रदान कीं उन्हे निष्प्रभावी कर दिया गया है। आपने अब देखा होगा कि देश में आज पारदर्शी जवाबदेह शासन है और इसे गांवों तक तकनीकी पहुंच के कारण लाना संभव हो सका है जहां बिना किसी मध्यस्थ के धन हस्तांतरित किया जाता है।”

इस कार्यक्रम के मौके पर उपराष्ट्रपति की धर्मपत्नी श्रीमती डॉ सुदेश धनखड़, आईआइएस सम-विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ अशोक गुप्ता, आईआइएस सम-विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.टीएन माथुर, रजिस्ट्रार डॉ राखी गुप्ता एवं अन्य गणमान्य अतिथि मौजूद रहे।

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